[vc_row][vc_column][vc_column_text]इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं। मान्यता है कि इस दिन मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन के लिए आये थे।
भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। क्योंकि इस पर्व की कहानी मृत्यु के देवता यमराज से जुड़ी है। जानिए भाई दूज पर टीका करने का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और इस पर्व का महत्व।
-Bhai Dooj (Bhaiya Dooj) 2021 Puja Vidhi, Timings:
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। इस त्योहार को भाई टीका, यम द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। ये पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं। मान्यता है कि इस दिन मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन के लिए आये थे। इस बार भाई दूज 6 नवंबर को मनाई जाएगी।
-भाई दूज पर क्या करते हैं?
-भाई दूज पूजा के लिए एक थाली तैयार की जाती हैं जिसमें रोली, फल, फूल, सुपारी, चंदन और मिठाई रखी जाती है।
-फिर चावल के मिश्रण से एक चौक तैयार किया जाता है।
-चावन से बने इस चौक पर भाई को बैठाया जाता है।
-फिर शुभ मुहूर्त में बहनें भाई को तिलक लगाती हैं।
-तिलक लगाने के बाद भाई को गोला, पान, बताशे, फूल, काले चने और सुपारी दी जाती है।
-फिर भाई की आरती उतारी जाती है और भाई अपनी बहनों को गिफ्ट भेंट करते हैं।
-भाई दूज पूजा मुहूर्त:
भाई दूज अपराह्न समय- 01:10 PM से 03:21 PM
अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट
द्वितीया तिथि प्रारम्भ- 05 नवम्बर 2021 को 11:14 पी एम बजे
द्वितीया तिथि समाप्त – 06 नवम्बर 2021 को 07:44 पी एम बजे
-भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथा:
मान्यताओं अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के अनेकों बार बुलाने के बाद उनके घर गए थे। यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की प्रार्थना की। प्रसन्न होकर यमराज ने बहन यमुना से वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा आप हर साल इस दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे आपका भय नहीं रहेगा। यमराज ने यमुना को आशीष प्रदान किया। कहते हैं इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई।
[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column width=”1/2″][vc_column_text]-भाई दूज पूजा थाली ऐसे करें तैयार:
थाली में सिंदूर, फूल, साबुत चावल के कुछ दाने, चांदी का सिक्का, पान का पत्ता, सूखा नारियल यानी गोला, फूल माला, कलावा, मिठाई, दूब घास और केला रखें।
-इस तरह करें पूजा:
-बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान कर भगवान विष्णु और गणेश जी की अराधना करें। इस दिन भाई के हाथों में सिंदूर और चावल का लेप लगाया जाता है। उसके बाद भाई के हाथों में पान के पांच पत्ते, सुपारी और चांदी का सिक्का रखा जाता है। फिर भाई के हाथ पर कलावा बांधा जाता है। बहन कलावा बांधते हुए भाई की दीर्घायु और खुशहाल जीवन की कामना के लिए मंत्र पढ़ती है। कहीं कहीं बहनें भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं। फिर इसके बाद कलावा बांधती हैं। मिठाई या माखन मिश्री से भाई का मुंह मीठा किया जाता है। कई जगह इस दिन शादीशुदा बहन के घर भाई जाकर भोजन करते हैं और उन्हें उपहार देते हैं।
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-भाई दूज मंत्र:
भाई दूज के दिन टीका करते समय बहन को भाई के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले-फलें।।
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